लेखक जेम्स टॉड के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म मेवाड़ के कुंभलगढ में हुआ था ।
इतिहासकार विजय नाहर के अनुसार राजपूत समाज की परंपरा व महाराणा प्रताप की जन्म कुंडली व कालगणना के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म पाली के राजमहलों में हुआ।
१५७६ के हल्दीघाटी युद्ध में ५०० भील लोगो को साथ लेकर राणा प्रताप ने आमेर सरदार राजा मानसिंह के ८०,००० की सेना का सामना किया।
हल्दीघाटी युद्ध में भील सरदार राणा पूंजा जी का योगदान सराहनीय रहा।
शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया ओर महाराणा को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला।
शक्ति सिंह ने अपना अश्व दे कर महाराणा को बचाया।
प्रिय अश्व(घोड़़ा) चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें १७,००० लोग मारे गए।
मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती चली गई ।
२५,००० सैनिकों के १२ साल तक गुजारे लायक अनुदान देकर भामाशाह भी अमर हुआ।
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